देश के पश्चिमी तटों पर खतरा

नई दिल्ली। देश के पश्चिमी तटों पर ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से सदी के आखिर तक समुद्र का जल स्तर 3.5 इंच से 34 इंच (2.8 फीट) तक बढ़ सकता है। मुंबई सहित पश्चिमी तट और पूर्वी भारत के प्रमुख डेल्टाओं में यह बड़े खतरे की घंटी हो सकती है। हैदराबाद स्थिति नैशनल सेंटर फॉर ऑशन इन्फॉर्मेशन सर्विस के अनुसार लोकसभा में बताया गया कि मुंबई और अन्य पश्चिमी तट जैसे खम्बाट, गुजरात का कच्छ, कोंकण के कुछ हिस्से और दक्षिण केरल समुद्र स्तर बढऩे की सबसे ज्यादा चपेट में आ सकते हैं। समुद्र स्तर बढऩे को इसलिए भी बड़ा खतरा बताया जा रहा है क्योंकि इससे रिवर सिस्टम पूरी तरह गड़बड़ा सकता है। ऐसे में भारत की खाद्य सुरक्षा पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।बता दें कि बीते दिनों ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ दि नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेस’ नाम की पत्रिका की एक स्टडी में बताया गया था कि बीते 25 वर्षों में समुद्र के जलस्तर में असमान वृद्धि की वजह केवल प्राकृतिक परिवर्तनशीलता नहीं बल्कि कुछ हद तक इंसानी गतिविधियों की वजह से हुआ जलवायु परिवर्तन है। इनके मुताबिक विश्व के वे हिस्से जहां समुद्री जलस्तर में औसत से कहीं अधिक वृद्धि हुई है वहां यह चलन जारी रह सकता है और इसकी वजह जलवायु का गर्म होना है। अमेरिका के नैशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के जॉन फसुलो ने कहा था, यह जानने के बाद कि इन क्षेत्रीय पैटर्न के पीछे एक वजह जलवायु परिवर्तन भी है, हम यह भरोसे से कह सकते हैं कि ये पैटर्न जारी रहेंगे।

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